उद्धरण (Quotation): पल्लवन और निबंध लेखन के लिए

सामान्य हिन्दी में निबन्ध लेखन, पल्लवन एवं सामान्य अंग्रेजी में Elaboration का उत्तर लिखते समय भाव विस्तार या विस्तृत विश्लेषण हेतु विषय की माँग के आधार पर महान विचारकों एवं साहित्यकारों के प्रासंगिक एवं सुसंगत कथनों को उद्धरण (Quotation) के रूप में लिखा जा सकता है

परन्तु कथन/ उद्धरण/ Quotation विषय के प्रासंगिक, सुसंगत एवं विषयानुकूल होने चाहिए। असंगत या निरर्थक Quotation नहीं लिखने चाहिए। 

विषय सूची:

यहाँ ऐसे ही कुछ महान विचारकों एवं साहित्यकारों के प्रसिद्ध कथनों / उद्धरणों / Quotations को संकलित किया गया है।

पर्यावरण संरक्षण / पर्यावरण प्रदूषण / जलवायु परिवर्तन/वैश्विक तापमान वृद्धि से संबंधित उद्धरण (Quotations)

1. “खौफजदा है बेजुबां जानवर और दरख्त,

जब से जंगल में दाखिल हुआ है आदमी,

जंगल कटते गये और शहर बसते गये,

आज शहर ही जंगल है और आदमी ही जानवर।”

2. “घुटन के साथ तू जाएगा इन घरों में कहाँ,

खुली फिज़ा में जो राहत है, इन बस्तियों में कहाँ।

हरी जमीं पर तूने इमारत जो बो दी,

मिलेगी ताजा हवा तूझे इन पत्थरों में कहाँ।।”

3. “उद्योगों की होड़ डगर को छोड़ शुभम् काे लील रही

कहाँ हुई कुछ भूल, कहाँ कुछ ढ़ील रहीं।

यहाँ धुआँ, वहाँ धुआँ, यह दिल धुआँ जमीं धुआँ,

धुएँ के इस गुब्बार में, वह जिन्दगी है सुलग रही।।”

4. “जंगल, पेड, पहाड, समंदर

इंसा सब कुछ काट रहा है

छील छील के खाल जीम की

टुकडा-टुकडा बाँट रहा है

आसमान से उतरे मौसम

सारे बंजर होने लगे है

मौसम बेघर होने लगे है।’’

5. “हर साल करते हो जलवायु परिवर्तन पर सम्मेलन।

फिर भी शौक से कुचल देते हो इन पर होने वाले आन्दोलन।।

पूरी धरती को साफ कर बना दो यहाँ कंक्रीट का जंगल।

कहीं जलमग्न हो रही धरती और कहीं पीने को ही नहीं है जल।।

इन खोखले योजनाओं के नाम भर से कुछ न हो पाएगा।

करना फिर सम्मेलन लाशों की वेदी पर, जब सब खत्म हो जाएगा।”

नारी शक्ति / महिला सशक्तीकरण / महिलाओं के विरूद्ध अपराध से संबंधित उद्धरण (Quotations)

1. कभी दहेज की पेटी है हम

कहीं चिता पर लेटी है हम।

मजबूरी के घूंघट में लिपटी

आजाद भारत की बेटी है हम।।

2. चंदन, रोली, कुमकुम, पूजा का थाल है बेटी

सलोने सपनों में सिमटा एक रूमाल है बेटी

सनू सान वीराने में गूंजता एक ख्याल है बेटी

विकसित है विज्ञान, तभी तो तिल-तिल हलाल है बेटी।।

3. एक खण्डहर है हृदय सी, एक जंगली फूल सी,

औरत की यह आवाज, गूंगी ही सही, गाती तो है।

एक चादर साँझ ने सारे नगर पर डाल दी,

यह अंधेरे की सड़क उस भोर तक जाती तो है।।

4. इस बार स्त्रियाँ अपनी गाथा खुद लिखेगी

जहाँ चीर-हरण होने पर वह

भरी सभा में प्रार्थना नहीं करेगी

नही मांगेगी देवताओं से लज्जा की भीख

वह टूटती-बिखरती खुद खड़ी होगी

उसके भीतर एक आग छपी है साधो

वह दंतकथाओं की फीनिक्स पक्षी की तरह

अपनी ही राख से उठ खड़ी होगी।

5. दुनिया के कल्याण के लिए कोई अवसर नहीं है जब तक कि महिला की स्थिति में सुधार न हो। पक्षी के लिए केवल एक पंख पर उड़ना सम्भव नहीं है।

There is no chance for the welfare of the world unless the condition of women has improved. It is not possible for a bird to fly on only one wing. (Swami Vivekanand)

6. Women are the real architects of society. 

महिलायें समाज की वास्तविक शिल्पकार होती हैं।

माता (माँ) से संबंधित उद्धरण (Quotations)

जब भी कश्ती मेरी, सलाब में आ जाती है,

माँ दुआ करती हुई, ख्वाब में आ जाती है।

किसी को घर मिला हिस्से में  या दुकां आई

मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से में माँ आई।

मीडिया से संबंधित उद्धरण (Quotations)

मीडिया का हर वक्तव्य निर्भीक होना चाहिए,

उसकी हर खबर एक तहरीक होनी चाहिए।

लोग चाहते है कि निरंतर हकीकतें खुलती रहे,

इसलिए मीडिया की तहेदिल तारीफ होनी चाहिए।

खबर मर्जी से चुनें, यह मीडिया का अधिकार है,

खबर, मगर हकीकत के करीब होनी चाहिए।

मीडिया के पास यह ताकत है कि वह जनता के मस्तिष्क को नियंत्रित कर सके। यदि आप इस मीडिया से सावधान नहीं रहे तो आपको शोषित से घृणा करना सीखा देगी और शोषक से प्यार।

Social media से संबंधित उद्धरण (Quotations)

  1. आप सोशल मीडिया को महत्व दीजिये या नहीं लेकिन आज के दौर में इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते है। और आज सोशल मीडिया कुछ मामलों के सामान्य मीडिया से भी ज्यादा ताकतवर हो गई है।
  2. सकारात्मक नजरिये से देखा जाये, तो आज सोशल मीडिया लोकतंत्र का पंचम स्तम्भ बन गया है।
  3. किसी को सोशल मीडिया अच्छी लगे या नहीं, लेकिन इसने आम आदमी को अपनी बात रखने का एक मजबूत माध्यम दे दिया है, जो अखबार और न्यूज चैनल नहीं देते थे।
  4. Social media की इस बात के लिए तारीफ करनी ही होगी, कि वह सरकारों के गलत फैसलों
  5. को बदलने के लिए मजबूर कर देती है।
  6. Social media के आने से पूर्व कुछ बड़े व्यापारी, कुछ बडे नेता, कुछ बडे अखबार, कुछ बडे News channel और कुछ बड़ी शक्तियां दुनिया को अपनी मनमर्जी से नियंत्रित करते थे।

लोकतंत्र/भ्रष्टाचार/प्रशासनिक लापरवाही/लालफीताशाही से संबंधित उद्धरण (Quotations)

1. राजभवनों तक ना जायें फरियादें

पत्थरों के पास अभ्यंतर नहीं होता।

ये सियासत की तवायफ का दुपट्टा है,

जो किसी के आंसूओं से तर नहीं होता है।

2. इस देश के मंदिर में कहाँ दरार नहीं हैं

सही सलामत एक भी दीवार नहीं है।

मत पूछो किसने लूटा इस गुलशन को

यह पूछो की इस लूट में कौन हिस्सेदार नहीं है।

अतिक्रमण/भूमि अधिग्रहण से संबंधित उद्धरण (Quotations)

1. बेखबर कुर्सियाँ आँख मलती रही

बस्तियाँ बेगुनाहों की उजड़ती रहीं।

लोग टूट जाते है एक घर बनाने में,

तुम तरस नहीं खाते हो बस्तियाँ उजाड़ने में।।

2. सूचना विभाग के हर विज्ञापन पर खुशहाली है,

चारों ओर कंगाली के पास आटा नहीं, गाली है।

और जिसमें कोई नहीं खाना चाहता,

लोकतंत्र एक जूठी थाली है।।

3. कहाँ तो तय था चिराग हर घर के लिए

कहाँ चिराग मयस्सर नहीं पूरे शहर के लिए।।

4. इस धरा पर मैं सरफरा हो जाऊँगा,

इंसानियत के नाम पर मकबरा हो जाऊँगा।

लोकतंत्र की सूखी टहनियों पर हंसने वालों,

गर, जड़ मेरी जिंदा रही, तो, फिर से हरा हो जाऊँगा।।

5. इस सड़क पर इस कदर कीचड़ बिछी है,

हर किसी का पांव घुटनों तक सना है।

पक्ष और प्रतिपक्ष संसद में मुखर है,

पर बात इतनी है कि, कोई पुल तो बना है।।

राष्ट्रीय एकता/आंतरिक सुरक्षा/साम्प्रदायिकता/नक्सलवाद/आतंकवाद से संबंधित उद्धरण (Quotations)

1. साम्प्रदायिकता की राह पर, उन्नति की दौड़ में,

विश्व शक्ति का स्वप्नन, पूरा कैसे करोगे।

बांट कर घरों में, कतरा-कतरा हो गये तो,

अनेकता में एकता का दम भला कैसे भरोगे।।

2. नक्सलवाद की राह पर, साम्प्रदायिकता की होड़ में,

देश को बलयुक्त करने, यदि न चले अनुशासन से हम।

तो कल देगा फिर हमें, कोई दासता की जंजीर पहना,

है सरल आजाद होना, पर कठिन आजाद रहना।।

3. अश्क में भीगी हुई मुस्कान का हम क्या करेंगे,

छल फरेबों से मिले सम्मान का हम क्या करेंगे।

काम जो इंसान के इंसान नहीं आ सका।

पजू ते मंदिरों में भगवान का हम क्या करेंगे।।

4. तन की हवस मन को गुनहगार बना देती है,

बाग के बाघ के बीमार बना देती है।

भूखे पेटों को देशभक्ति सीखाने वालों,

भूख इंसान को गद्दार बना देती है।।

5. इतना तो मेरे दर पर मुकद्दर जवाब दे,

कतरा करे सवाल तो समंदर जवाब दे।

इतनी हो हम सब में आपसी एकता,

मस्जिद को हर सवाल का मंदिर जवाब दे।।

6. दिल के छाले झुलसे है, सीने की आग से,

घर को आग लगती है, घर के चिराग से ।

गैरों का डर नहीं, अपने से डरो,

घर को बचाना है तो, घर को ठीक करो।।

7. कोई मौसम हो सुख-दुख में गुजारा कौन करता है,

परिंदों की तरह सब-कुछ गंवारा कौन करता है।

घरों की राख फिर देखेंगे एक बार

मगर, इस बार पहले यह देखना है कि

घरों को फूंक देने का ईशारा कौन करता है।।

8. हल नहीं निकला है कोई हिंसा से आज तक,

वार्ता का भाव दिल में जगाना चाहिए।

नफरत से भरे दरिया में डूब न जाये कोई,

डूबते हर शख्स को साहिल पर लाना चाहिए।।

9. आदर्शों से आदर्श भिडे़, प्रज्ञा-प्रज्ञा पर टूट रही,

प्रतिमा प्रतिभा से लड़ें, धरती की किस्मत फूट रही।

आवर्ती का है विषमजाल, निरूपाय बुद्धि चकराती है,

विज्ञान ज्ञान पर चढ़ी हुई, सभ्यता डूबने जाती है।।

10. तू इधर-उधर की बात ना कर, ये बता कि काफिला क्यूँ लुटा,

मुझे रहजनों से गिला नहीं, तेरी रहबरी का सवाल है।।

11.खून किसी का भी गिरे यहाँ पर नस्ल-ए-आदम का खून है आखिर

बच्चे सरहद पार के ही सही, किसी की छाती का सुकून है आखिर।।

12. खून के ये नापाक धब्बे, खुदा से कैसे छिपाओगे

मासूमों की कब्र पर चढ़कर, कौनसे जन्नत जाओगे।

13. कागज पर रखकर रोटियां खाऊं भी तो कैसे,

खून से लथपथ आता है, अखबार भी आजकल।

दिलेरी का ये हरगिज, हरगिज ये काम नहीं,

दहशतगर्दी किसी मजहब का पैगाम नहीं।

गांधी – दर्शन

1. वह अशोक की आत्मा, सत्याग्रह रूपी धारति योद्धा

सत्य अहिंसा का पुजारी, आध्यात्मिक राजनीति का पुरोधा।

त्याग और करूणा की प्रतिमूर्ति, प्रेम व समर्पण का पर्याय,

स्वराज व सर्वोदय का प्रणेता, दलितोद्वार व अंत्योदय का अध्याय।

उठ धरा से पहूँच शिखर, आकाश बन गया,

धरा देखती रही, पुत्र इतिहास बन गया।।

2. आँख के बदले आँख, पूरे विश्व को अंधा बना देगी।

An eye for an eye only ends up making the whole world blind (गाँधीजी)

3. मौन सबसे सशक्त भाषण है, धीरे-धीरे दुनिया आपको सुनेगी।

Silence is the strongest speech slowly & gradually the world will listen to you. (M K Gandhi)

4. जिस स्वतंत्रता में गलती कर पाने का अधिकार शामिल नहीं हो उस स्वतंत्रता का कोई मूल्य नहीं है।-गाँधी

5. राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है। (गांधीजी)

आशावादी दृष्टिकोण/निष्कर्ष/उपसंहार से संबंधित उद्धरण (Quotations)

जिस तरह मानव ने अपनी आदिम सभ्यता से वर्तमान तकनीकी युग तक का सफर अपनी

जिजीविषा से तय किया है, उसी तरह यह बात अंगद के पांव की तरह अटल है कि इस समस्या

का समाधान भी कर लिया जायेगा। परन्तु हमें अपने अतिरिक्त प्रयासों से उस समय सीमा को

कम करना होगा और वह सत्य होगा कि लोहे के पेड़ हरे होंगे।।

एक बार में बादलों पर बैठकर सैर कर रहा था, मैने नीचे

झांककर देखा तो यह महसूस किया कि न तो किसी देश को

दूसरे देश में बाँटने वाली कोई रेखा है, न किसी खेत को दूसरे

खेत से अलग करने वाला कोई पत्थर है, पर अफसोस हर

एक इंसान बादलों पर बैठ नहीं सकता।।

अपने हर एक लफ्ज का खुद आईना हो जाऊँगा,

तुझे छोटा कहकर, मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा।

तुम मुझे गिराने में लगे हो, तुमने सोचा ही नहीं,

गर, मै गिरा तो मुद्दा बनकर खड़ा हो जाऊँगा।

चलने दो मुझे, बाकि है मेरा सफर,

गर, मुझे रोका गया तो काफिला हो जाऊँंगा।।

‘‘इस नदी की धार में, ठंडी हवा आती तो है,

नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है।

एक चिनगारी कहीं से ढुँढ लाओ दोस्तां,

इस दिये में तेल में भीगी हुई बाती तो है।’’

गजल सम्राट दुष्यंत कुमार

धैर्य कड़वा होता है पर इसका फल मीठा होता है।

Patience is bitter but its fruit is sweet. (अरस्तू)

गरीबी क्रांति और अपराध की जनक है।

Poverty is the parent of revolutions & crime (अरस्तू)

सिर्फ खडे़ होकर पानी देखने से आप समंदर पार नहीं कर सकते।

You can’t cross the sea merely by standing and staring at the water. (रविन्द्रनाथ टैगोर)

उत्कंठा ज्ञान की शुरूआत है।

Perplexity is the beginning of knowledge. (खलील जिब्रान)

युद्ध के लिए तैयार रहना शांति स्थापित रखने के लिए एक बहुत प्रभावशाली साधन है। (जॉर्ज वाशिंगटन)

परिश्रम सौभाग्य की जननी है।

Diligence is the mother of good luck. (Benjamin Franklin)

हमारी सबसे बड़ी कमजोरी हार मान लेना है, सफल होने का सबसे निश्चित तरीका है हमेशा एक और बार प्रयास करना।

Our greatest weakness lies in giving up. The most certain way to succeed is always to try just one more time. (टॉमस एडिसन)

हिन्दी भारतीय संस्कृति की आत्मा है। (कमलापति त्रिपाठी)

यदि तुम एक व्यक्ति से उस भाषा में बात करते हो जिसे वह समझता है तो ऐसी भाषा उसके दिमाग में प्रवेश करती है जबकि यदि तुम उस व्यक्ति से उसी की भाषा में बात करते हो तो वह उसके हृदय में प्रवेश करती है। (नेल्सन मण्डेला)

‘‘तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है,

मगर ये दावा झूठा और ये आँकडे़ किताबी है’’ (अदम गोडंवी)

क्या-क्या बनाने आये, क्या-क्या बना बैठे,

कहीं मन्दिर तो, कही मस्जिद बना बैठे।

अरे हमसे अच्छे तो ये परिंदे है,

जो कभी मंदिर पर जा बैठे

कभी मस्जिद पर जा बैठे।।

हिंसा से शांति नहीं प्राप्त की जा सकती है, यह सिर्फ समझ के माध्यम से मिल सकती है। (राल्फ एमर्सन)

क्षमा से संबंधित उद्धरण (Quotations)

  1. क्षमा से बढ़कर और किसी भी बात में पाप को पुण्य में बदलने की शक्ति नहीं है। (जयशंकर प्रसाद)
  2. क्षमा दण्ड से अधिक पुरूषोचित है। (महात्मा गाँधी)
  3. जिसके मन में पश्चाताप का भाव न हो, उसे क्षमा कर देना पानी पर लकीर खींचने की तरह निरर्थक है। (जापानी लोकोक्ति)

कर्म से संबंधित उद्धरण (Quotations)

भाग्य हमारे कर्म पर निर्भर करता है।

हर कोई अपने भाग्य के लिए जिम्मेदार है।

‘‘वृक्ष को काटने से पहले हम खुद को,

इंसानियत से काट लेते है।

इंसानियत से हम इस कदर कटे होते है

कि वृक्ष को बेहिचक काट लेते है।।’’

‘‘जब बाप मरा तो यह पाया भूखे किसान के बेटे ने,

घर का मलबा टूटी खटिया, कुछ हाथ भूमि वो भी परती,

बस यही नहीं जो भूख मिली, सौ गुनी बाप से अधिक मिली,

अब पेट खलाये फिरता है, चौड़ा मुंह बाये फिरता है,

वो क्या जाने आजादी क्या, आजाद देश की बातें क्या।।’’

‘‘बिलखते शिशु की व्यथा पर दृष्टि तक जिनने न फेरी,

यदि क्षमा कर दूँ, इन्हें धिक्कार माँ की कोख मेरी।

चाहता हूँ ध्वंस कर देना विषमता की कहानी,

हो सुलभ सबको जग में वस्त्र, भोजन, अन्न पानी।।’’

‘‘कितने कमजर्फ होते है यह गुब्बारे,

चंद सांसों में फूल जाते है,

उड़ने लगते है हवाओं में,

अपनी औकात भूल जाते है।’’

‘‘अश्क में भीगी हुई मुस्कान का हम क्या करेंगे,

छल फरेबों में मिले सम्मान का हम क्या करेंगे।

काम जो इंसान के इंसा ही न आ सका,

पजू ते मंदिरों में भगवान का हम क्या करेंगे ।’’

‘‘आदमी कितने अंधेरे में खोया है,

हथेली पर मुकद्दर तलाश रहा है।

प्यास बुझती है पानी की दो-चार बुंदों से,

हवस इतनी है कि समन्दर तलाश रहा है।।’’

‘‘बुझते है दीये जो तेल से जला करते हैं।

हम नहीं बुझते क्यों क हम आस्था से जला करते हैं।”

‘‘दिल के छाले झुलसे है, सीने की आग से,

घर को आग लगती है, घर के चिराग से।

गैरों का डर नहीं, अपनोंसे डरों,

घर को बचाना है तो घर को ठीक करो।।’’

‘‘एक छोटी जिंदगी जी सके इसके लिए

लोग मारते है इसे ही, हर घड़ी, हर रात-दिन।’’

‘‘बिना लिबास आये थे इस जहां में ,

बस एक कफन की खातिर इतना सफर करना पड़ा।’’

‘‘बोल दुनिया के रसीले हो गए,

अब यह लफ्ज क्यों कंटीले हो गए,

बाप का गुर्दा बिक गया तो क्या हुआ,

हाथ तो बेटी के पीले हो गये।।’’

‘‘एक निर्धन बाप ने अपनी बेटी की शादी में क्या-क्या दिया होगा

वह तो किसी साहूकार के बहीखाते में लिखा होगा।’’

‘‘दिल को बीमार बनाने पर तुली है दुनिया,

फूलों को खार बनाने पर तुली है दुनिया।

हमने लोहे को गलाकर जो खिलौने ढाले थे,

अब उनको हथियार बनाने पर तुली है दुनिया।।’’

‘‘आंधियां जिसमें उमंग भरती है,

छातियां जहां नहीं संगीनों से डरती है,

अश्रु के बदले, जहां शोणित बहता है,

वह देश कभी पराधीन नहीं रहता है।।’’

‘‘झुक जाती है तलवार भी अखबार के आगे,

झुक जाती है सरकार भी अखबार के आगे।

मुर्दों को होश देती है, अखबार नवीसी,

जिंदे को जोश देती है अखबार नवीसी।।’’

‘‘वह अशोक की आत्मा, रण का विजयी योद्धा,

शांति-चक्र का धर्म-प्रवर्तक, शक्ति पुरोधा,

उठा धरा से, पहुँच शिखर, आकाश बन गया,

धरा देखती रही, युग इतिहास बन गया।।’’

‘‘खड़ा रहा जो अपने पथ पर, लाख मुसीबत के आने में,

मिली सफलता उसको जग में, जीने में या मर जाने में।।’’

इतना तो तेरे दर पे मुकद्दर जवाब दे,

कतरा करे सवाल तो समन्दर जवाब दे।

इतनी हो हम सब में आपसी एकता,

मस्जिद के हर सवाल का मंदिर जवाब दे।।’’

कर रहा साजिश अंधेरा, सीढ़ीयों पर बैठकर

रोशनी के चेहरे पर क्यों कोई हरकत नहीं।

बादलों की ओट में न जाने क्या साजिश हुई,

मेरा घर मिट्टी का बना था, मेरे घर ही बारिश हुई।

मेरा ये जिस्म तो मिटा देगा मिट्टी की भूख,

जो बेलिबास है, उनको मेरा कफन दे दो।।

सभी तलाशते है, रास्ता अपने-अपने ढंग से,

मिट्टी तले केंचुआं, समुद्र में कोलम्बस,

जिद्दी शब्दों के घेरे में कवि,

गहन घोर अंधकार में एकाकी नक्षत्र,

बोधिवृक्ष तले बुद्ध देव।

ये लोहे के पेड़ हरे होंगे जरूर, तू पसीने के कण छलकाता चल,

बाधाएं अपने आप मिटती जायेगी, तू कर्म पथ पर इठलाता चल।।

खुली छतों के दिये कब के बुझ गये होते, कोई तो है, जो हवाओं के पर कतरता है।

शराफतों की यहां कोई अहमियत नहीं।

किसी का कुछ न बिगाड़ो तो, कौन डरता है।

हमने अपने ही हाथों से पिंजरे तामीर किए है, अब बेमानी लफ्ज ए रिहाई मेरे लिए भी तेरे लिए भी

अब हम दोनों चलकर इस चट्टान, तक आ पहुंचे है कि नीचे जानलेवा गहराई है, मेरे लिए भी तेरे लिए भी।

साहित्य से संबंधित उद्धरण (Quotations)

  1. साहित्य समाज का दर्पण होता है।
  2. साहित्य संगीत कला विहीन व्यक्ति साक्षात पशु ही है जिसके पूँछ और सींग नही है। (भर्तृहरि)
  3. साहित्य का कर्त्तव्य केवल ज्ञान देना नहीं है, परन्तु एक नया वातावरण देना भी है।

सतत् प्रयास-कोशिश

  1. एक नदी अपनी ताकत से नहीं बल्कि अपने सतत् प्रयास के कारण, चट्टान को काटकर अपना रास्ता बना लेती है।

जयशंकर प्रसाद जी के अनमोल विचार

  1. सोने की कटार पर मुग्ध होकर उसे कोई अपने हृदय में डुबा नहीं सकता।
  2. सौभाग्य और दुर्भाग्य मनुष्य की दुर्बलता के नाम हैं। मैं तो पुरुषार्थ को ही सबका नियामक समझता हूँ। पुरुषार्थ ही सौभाग्य को सींचता है।
  3. संसार में छल, प्रवचं ना और हत्याओं को देखकर कभी कभी मान ही लेना पड़ता है कि यह जगत ही नरक है।
  4. सम्पूर्ण संसार कर्मण्य वीरों की चित्रशाला है।
  5. क्षमा पर केवल मनुष्य का अधिकार है, वह हमें पशु के पास नहीं मिलती।
  6. जागृत राष्ट्र में ही विलास और कलाओं का आदर होता है।
  7. भारत समस्त विश्व का है और सम्पूर्ण वसुंधरा इसके प्रेम पाश में आबद्ध है।
  8. अन्य देश मनुष्यों की जन्मभूमि है, लेकिन भारत मानवता की जन्मभूमि है।
  9. मानव स्वभाव दुर्बलताओं का संकलन है।
  10. मुझे विश्वास है कि दुराचारी सदाचार के जरिये शुद्ध हो सकता है।
  11. सहनशील होना अच्छी बात है, पर अन्याय का विरोध करना उससे भी उत्तम है।
  12. विधान की स्याही का एक बिंदु गिरकर भाग्यलिपि पर कालिमा चढ़ा देता है।

खलील जिब्रान के विचार

  1. इस संसार में एसेी कोई इच्छा नहीं है जो पूरी न हो सके।
  2. ज्ञान आपमें बीज पैदा करता है न कि आपमें बीज बोता है।
  3. एक कट्टरपंथी, एक निपट बहरा वक्ता है।
  4. ईर्ष्यालुओं का मौन अत्यंत शोर करने वाला होता है।
  5. परेशानी ज्ञान की शुरुआत है।
  6. जब से मुझे पता चला है कि मखमल के गद्दे पर सोने वालों के सपने नंगी जमीन पर सोने वालों से मधुर नहीं होते, तब से मुझे न्याय में गहरी श्रद्धा हो गई है.
  7. जीवन और मृत्यु एक है, जैसे कि नदी और समुद्र एक हैं।
  8. स्वतंत्रता के बिना जीवन आत्मा के बिना शरीर की तरह है।

चाणक्य के प्रसिद्ध सूक्ति वाक्य

  1. दूसरो की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग करके सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी।
  2. हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है – यह कडुआ सच है।
  3. दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है।
  4. शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है। शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है।
  5. शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य दोनों ही कमजोर हैं।

कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है। -चाणक्य

तलाक से संबंधित उद्धरण (Quotations)

‘‘तलाक दे तो रहे हो जुनून- ओ-कहर के साथ,

मेरा शबाब भी लोटा दो, मेरी मेहर के साथ।’’

भाषायी विविधता से संबंधित उद्धरण (Quotations)

‘‘कमल उर्दू के खिलते है यहाँ हिन्दी की झीलो मे,

गजल को बांटना मुश्किल है भाषायी कबीलो मे।’’

भ्रूण हत्या से संबंधित उद्धरण (Quotations)

‘‘कल तक जो वरदान थे उसके, आज वही है श्राप बने।’’

अपनी ही बिटिया के कातिल, उसके ही माँ-बाप बने।।

राष्ट्रवाद से संबंधित उद्धरण (Quotations)

दुनिया का इतिहास पूछता

रोम कहाँ, यूनान कहाँ है

घर-घर में शुभ अग्नि जलाता

वह उन्नत ईरान कहाँ है

दीप बुझे पश्चिमी गगन के

व्याप्त हुआ बर्बर अँधियारा

किन्तु चीर कर तम की छाती

चमता हिन्दुस्तान यहाँ है।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी

कृषक (किसान) से संबंधित उद्धरण (Quotations)

‘‘भारत……………………..

मेरे सम्मान का सबसे महान शब्द

जहाँ कही भी प्रयोग किया जाए

बाकी सभी शब्द अर्थहीन हो जाते है।

भारत के अर्थ

किसी दुष्यन्त में सबंंधित नहीं

वरन् खेत में दायर है

जहाँ अन्न उगता है।’’

‘‘हम न रहेंगे, तब भी तो यह खेत रहेंगे’’

इन खेतो पर घन घराहते शेष रहेंगे

जीवन देते प्यास बुझाते

श्याम बदरिया के, लहराते केश रहेगे।’’

औपचारिक शिक्षा से संबंधित उद्धरण (Quotations)

‘‘तालीम नो दी लाती है हमें, वह क्या है, फकत बाजारी है’’

जो अक्ल सिखाई जाती है, वह क्या है, फकत सरकारी है।’’

प्रौद्योगिकी से संबंधित उद्धरण (Quotations)

‘‘चाँद है तेरे कदम सूरज खिलौना हो गया’’

हाँ, मगर इस दौर में किरदार बौना हो गया’’

प्रतिस्पर्धा से संबंधित उद्धरण (Quotations)

‘‘अब हवाएँ ही करेगी, रोशनी का फैसला

जिस दिए में जान होगी, वो दिया रह जाएगा।’’

अखबार से संबंधित उद्धरण (Quotations)

‘‘खीचों न कमानों को न तलवार निकालो

जब तोप मुकाबिल हाे अखबार निकलो ।’’

शिथिल प्रशासन से संबंधित उद्धरण (Quotations)

‘‘जाे उलझकर रह गई है फाइलाे के जाल में,

गाँव तक वह रोशनी आएगी कितने साल मैं ’’

औपनिवेशिक मानसिकता से संबंधित उद्धरण (Quotations)

‘‘मुक्तिकामी चेतना अभ्यर्थना इतिहास की

यह समझदारी की दुनिया है विरोधाभास की

आप कहते है इसे जिस देश का स्वर्णिम इतिहास

वो कहानी है महज प्रतिरोध की, संग्राम की।’’

पानी से संबंधित उद्धरण (Quotations)

‘‘रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून

पानी गए न उबरै मोती, मानुष चून। ’’

विविधता से संबंधित उद्धरण (Quotations)

‘‘हम है ताना, हम है बाना।

हमी चदरिया, हमी जुलाहा, हमी गजी, हम थाना

मंदिर मस्जिद, हम गुरूद्धारा, हम मठ, हम बैरागी

हमी पुजारी, हमी देवता, हम कीर्तन, हम रागी

आखत-राले ी, अलख-भभूति, रूप धरें हम नाना। ’’

साहित्य से संबंधित उद्धरण (Quotations)

‘‘अपकार है वहाँ, जहाँ आदित्य नही है।

मुर्दा है वह देश, जहाँ साहित्य नहीं है।’’

गरीबी/अकाल से संबंधित उद्धरण (Quotations)

‘‘कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास,

कई दिनों तक कानी कुतिया, सोई उनके वास’’

कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त

कई दिनों तक चूहां की भी हालत रही शिकस्त’’। – नागार्जुन

न्याय व्यवस्था से संबंधित उद्धरण (Quotations)

दो न्याय अगर तो आधा दो,

पर, इसमें भी यदि बाधा हो,

तो दे दो केवल पाँच ग्राम,

रक्खो अपनी धरती तमाम।

हम नहीं खुशी से खाएंगे,

परिजन पर असि न उठाएंगे। -रामधारी सिंह दिनकर

हार किसकी और किसकी है फतह, कुछ सोचिए

जंग है ज्यादा जरूरी या सुलह, कुछ सोचिए

मौन है इंसानियत के कत्ल पर इंसाफ घर

अब कहाँ होगी भला उस पर जिरह, कुछ सोचिए

अन्य

‘‘सत्य स्वयं घायल हुआ, गई अहिंसा चूक,

जहाँ-वहाँ दगने लगी शासन की बंदूक।

जली ठूँठ पर बैठकर गई कोकिला कूक,

बात न बाँका कर सकी शासन की बन्दूक।।’’ -नागार्जुन

तुम्हारे पाँव के नीचे कोई जमीन नहीं

कमाल ये है कि फिर भी तुम्हे यकीन नहीं

बहुत मशहूर है आएँ जरूर आप यहाँ

ये मुल्क देखने लायक तो है हसीन नही -दुष्यन्त कुमार

क्षमा बडन को चाहिये , छोटन को उतपात ।

का शम्भु को घट गयो , जो भृगु मारी लात ।। -रहीम

दुष्टो का बल हिन्सा है, शासको का बल शक्ती है, स्त्रीयों का बल सेवा है और गुणवानो का बल क्षमा है ।

सत्य को कह देना ही मेरा मज़ाक करने का तरीका है। संसार में यह सब से विचित्र मज़ाक है। -जार्ज बर्नार्ड शॉ

सत्य बोलना श्रेष्ठ है (लेकिन) सत्य क्या है , यही जानना कठिन है ।

जो प्राणिमात्र के लिये अत्यन्त हितकर हो, मै इसी को सत्य कहता हूँ। – वेद व्यास

सही या गलत कुछ भी नहीं है – यह तो सिर्फ सोच का खेल है।

पूरी ईमानदारी से जो व्यक्ति अपना जीविकोपार्जन करता है, उससे बढ़कर दूसरा कोई महात्मा नहीं है। -लिन यूतांग

झूठ का कभी पीछा मत करो । उसे अकेला छोड़ दो। वह अपनी मौत खुद मर जायेगा । – लीमैन बीकर

नहिं असत्य सम पातकपुंजा। गिरि सम होंहिं कि कोटिक गुंजा।। -गोस्वामी तुलसीदास

जाे सत्य विषय हैं वे ताे सबमें एक से हैं झगड़ा झठूे विषयों में होता है। -सत्यार्थप्रकाश

साँच बराबर तप नहीं , झूठ बराबर पाप। -कबीर

वार्तालाप बुद्धि को मूल्यवान बना देता है , किन्तु एकान्त प्रतिभा की पाठशाला है। -गिब्बन

मौन और एकान्त, आत्मा के सर्वात्तम मित्र हैं। -बिनोवा भावे

मौन , क्रोध की सर्वात्तम चिकित्सा है । -स्वामी विवेकानन्द

मौन में शब्दां की अपेक्षा अधिक वाक-शक्ति होती है। -कार्लाइल

मौनं स्वीकार लक्षणम्। (किसी बात पर मौन रह जाना उसे स्वीकार कर लेने का लक्षण है।)

कभी आंसू भी सम्पूर्ण वक्तव्य होते हैं। -ओविड

मूरख के मुख बम्ब हैं , निकसत बचन भुजंग। ताकी ओषधि मौन है , विष नहिं व्यापै अंग।।

भोग और त्याग की शिक्षा बाज़ से लेनी चाहिए। बाज़ पक्षी से जब कोई उसके हक का मांस छीन लेता है तो मरणांतक दुख का अनुभव करता है किंतु जब वह अपनी इच्छा से ही अन्य पक्षियों के लिए अपने हिस्से का मांस, जैसा कि उसका स्वभाव होता है, त्याग देता है तो वह पर सुख का अनुभव करता है। यानि सारा खेल इच्छा , आसक्ति अथवा अपने मन का है। -सांख्य दर्शन

निर्धनता से मनुष्य मे लज्जा आती है । लज्जा से आदमी तेजहीन हो जाता है । निस्तेज मनुष्य का समाज तिरस्कार करता है । तिरष्कृत मनुष्य में वैराग्य भाव उत्पन्न हो जाते हैं और तब मनुष्य को शोक होने लगता है । जब मनुष्य शोकातुर होता है तो उसकी बुद्धि क्षीण होने लगती है और बुद्धिहीन मनुष्य का सर्वनाश हो जाता है । -वासवदत्ता , मृच्छकटिकम में

ज्ञानयोग, कर्मयोग, राजयोग का ज्ञान हूँ मैं मूर्तिपूजा, बहुदेववाद की शान हूँ मैं।

अध्यात्म और भौतिकवाद का सार हूँ मैं वेदान्त, रामकृष्ण मिशन का शिल्पकार हूँ मैं

अमर अखण्ड रामकृष्ण का मान हूँ मैं।

नरेन्द्र वी विदिशानन्द, विवेकानन्द महान हूँ मैं।

कभी ईद पर निहार, तो कहीं करवाचौथ पर इंतजार।

जरा चांद आज बता ही दे तेरा मजहब क्या है?

अगर तू सबका है, तो फिर जमीं पर इतना तमाशा क्यों है?

नदियां मुझसे कर रही, चुभता एक सवाल,

कहाँ गया पर्यावरण, जीना हुआ मुहाल।

तान कुल्हाड़ी है खड़ा, मानव जंगलखोर

मिटा रहा पर्यावरणीय बात कूड़ा करकट फैंकते, नदियों में सामान,

फिर बांटे सब और हम, पर्यावरणीय ज्ञान।

हुआ आसमान धुआँ-धुआँ खौफ से सजा मौत का कुआं।

हवा में घुल गया जहर बरपा जो बनकर कहर।

सुन प्रकृति की पुकार तू, अपनी गलतियाँ सुधार तू।।

सैंकड़ों हजारों तालाब अचानक शून्य से प्रकट नहीं हुए थे।

इनके पीछे एक इकाई भी बनवाने वालों की, तो दहाई थी बनाने वालों की।

यह इकाई-दहाई मिलकर सैकड़ा-हजार बनाती थी।

पिछले दो सौ बरस में नए किस्म की थोड़ी सी पढ़ाई पढ़ गए समाज ने उस इकाई, दहाई सैकड़ा हजार को शून्य ही बना दिया।

उनकी जठराग्नि से जल-जंगल-जमीन खतरे में है। खतरे में है पशु-पक्षी पहाड़ नदियां समुद्र हवा खतरे में है।

पृथ्वी को गाय की तरह दुहते-दुहते अब वो धरती का एक-एक रोआं नोचने पर तुले है।

जिसके सम्माहे न में पागल धरती है, आकाश भी है।

एक पहेली-सी दुनिया में गल्प भी है, इतिहास भी है।

कंकरीट की इस जंगल में फलू खिले पर गंध नहीं।

स्मृतियां की घाटी में यूँ कहने काे मधुमास भी है।

किस रूट के मुंतजिर है ये पेड़, रास्तां पर खुद धूप में खड़े है, छाया मुसाफिरों पर।

ये नहीं पूछाे कहाँ, किस रंग का, किस आरे है। इस व्यवस्था के घने जंगल में आदमखारे है।

मुख्य सड़कों पर अंधरेे की भयावहता बढ़ी, मुल्क मेरा इन दिनों शहरीकरण की आरे है।

कुचल-कुचल के न फुटपाथ को चलो इतना, यहाँ पे रात को मजदूर ख्वाब देखते है।

वो सुबह कभी तो आएगी

इन काली सदियों के सर से जब रात का आचं ल ढलकेगा

जब दुख के बादल पिघलेंगे जब सुख का सागर झलकेगा

जब अम्बर झूम के नाचेगा जब धरती ऩगमे गाएगी

वो सुबह कभी तो आएगी

जिस सुबह की खातिर जुग जुग से हम सब मर-मर के जीते हैं

जिस सुबह के अमृत की धुन में हम ज़हर के प्याले पीते हैं

इन भूखी प्यासी रूहों पर इक दिन ताे करम फरमाएगी

वो सुबह कभी तो आएगी।

माना कि अभी तेरे मेरे अरमानों की कीमत कुछ भी नहीं

मिट्टी का भी है कुछ मोल मगर इन्सानों की कीमत कुछ भी नहीं

इन्सानों की इज्जत जब झूठे सिक्कों में न तोली जाएगी

वो सुबह कभी तो आएगी।

दौलत के लिए जब औरत की अस्मत को ना बेचा आएगा

चाहत को ना कुचला जाएगा, इज्जत को न बेचा जाएगा

अपनी काली करतूतों का जब ये दुनिया शर्माएगी

वो सुबह कभी तो आएगी।

बीतेंगे कभी तो दिन आखिर ये भूख के और बेकारी के

टूटेंगे कभी ताे बुत आखिर दौलत की इजारादारी के

जब एक अनोखी दुनिया की बुनियाद उठाई जाएगी

वो सुबह कभी तो आएगी।

मजबूर बूढ़ापा जब सूनी राहों की धूल न फांकेगा

मासूम लड़कपन जब गंदी गलियां में भीख न मांगेगा

ह़क मांगने वालों को जिस दिन सूली न दिखाई जाएगी

वो सुबह कभी तो आएगी।

फआकों की चिताओ पर जिस दिन इन्सां न जलाए जाएंगे

सीने के दहकते दोजख में अरमां न जलाए जाएंगे

ये नरक से भी गंदी दुनिया, जब स्वर्ग बनाई जाएगी

वो सुबह कभी तो आएगी

जिस सुबह की खातिर जुग जुग से हम सब मर मर के जीते हैं

जिस सुबह के अमृत की धनु मैं हम जहर के प्याले पीते हैं

वो सुबह न आए आज मगर, वो सुबह कभी तो आएगी

वो सुबह कभी तो आएगी

ये नहीं पूछो कहां, किस रंग का, किस ओर है

इस व्यवस्था के घने जंगल में आदमखोर है

मुख्य सड़कों पर अंधरेे की भयावहता बढ़ी

जगमगाती रोशनी के बीच कॉरीडोर है

आत्महत्या पर किसानों की सदन में चुप्पियां

मुल्क मेरा इन दिनों शहरीकरण की आरे है

इन पतंगों का बहुत मुश्किल है उडना देर तक

छत किसी की, हाथ कोई और किसी की डोर है

भ्रष्ट शासन तंत्र की नागिन बहुत लंबी हुई

है शरीके जंग कुछ तो नेवला या मोर है

कठपुतलियां हैं वही बदले हुए इस मंच पर

देखकर यह माजरा दर्शक बेचारा बोर है

नाव का जलमग्न होना चक्रवातों के बिना

है ये अंदेशा कि नाविक का हुनर कमजोर है

मौसमों ने कह दिया हालात सुधरे हैं मगर

शाम-धुंधली, दिन कलंकित, रक्तरंजित भोर है

किस तरह सद्भावना के बीज का हो अंकुरण

एक है गूंगी पडोसन, दूसरी मुंहजारे है

नाव पर चढ ते समय भी भीड में था शोरगुल

अब जो चीखें आ रहीं वो डूबने का शोर है।

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पल्लवन (Pallavan) और संक्षिप्तीकरण / संक्षेपण (Sankshepan)

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