उपसर्ग (Upsarg) एवं इनके भेद

वे शब्दांश जो मूल शब्द के पहले जुड़कर इनके अर्थ में परिवर्तन या विशेषता ला देते हैं, उन्हें उपसर्ग (Upsarg) कहते हैं।

उपसर्गों का प्रयोग नए शब्दों की रचना के लिए किया जाता है। नए शब्द बनाने के लिए मूल शब्दों के आरंभ में या उनके आगे कुछ शब्दांशों को जोड़ दिया जाता है। इससे मूल शब्द के अर्थ में बदलाव आ जाता है। ऐसे ही शब्दांशों को उपसर्ग कहते हैं।

उपसर्ग (Upsarg) के भेद

  1. संस्कृत के उपसर्ग
  2. हिन्दी के उपसर्ग
  3. विदेशी उपसर्ग

1. संस्कृत के उपसर्ग

ये इतने ही होते हैं और इन्हे ऐसे ही याद किया जा सकता है।

उपसर्गअर्थयोगिक शब्द
अवबुराअवगणना, अवतरण, अवगुण
अपबुरा/विपरीतअपकर्ष, अपमान, अपकार, अपजय
अतिअधिकअतिशय
अधिऊपर/श्रेष्ठअधिपति, अध्यक्ष, अध्यापन
अभिपास/सम्मुखअभिनंदन, अभिलाप, अभिमुख, अभिनय
अपिभीअपिधान
अनुपीछेअनुक्रम, अनुताप, अनुज, अनुकरण, अनुमोदन
तक/सीमाआगमन, आदान, आकलन
उत्ऊपर/श्रेष्ठउत्कर्ष, उत्तीर्ण
उपपास/समीपउपाध्यक्ष, उपदिशा, उपग्रह, उपनेत्र
दुर्बुरा/कठिनदुराशा, दुरुक्ति
दुस्बुरा/कठिन
निअभाव/रहितनिमग्न, निबंध, निकामी
निर्अभाव/रहितनिरंजन, निराषा
निस्अभाव/रहितनिष्फल, निश्चल
प्रप्रबलप्रकोप, प्रबल
प्रतिप्रत्येक/विपरीतप्रतिकूल, प्रतिच्छाया, प्रतिदिन, प्रतिवर्ष, प्रत्येक
पराउल्टापराजय
परिचारों ओरपरिपूर्ण,परिश्रम, परिवार
विविशेष/भिन्नविख्यात,  विवाद,  विफल, विसंगति
सुअच्छासुभाषित, सुकृत, सुग्रास, सुगम, सुकर, स्वल्प
सम्अच्छी तरहसंस्कृत, संस्कार, संगीत, संयम, संयोग, संकीर्ण, सुबोधित, सुशिक्षित
उपसर्गअर्थयोगिक शब्द
अन्अभाव, रहितअनंत, अनिष्ट, अनधिकार, अनभ्यास, अनवधान, अनुत्तरित, अनुदात्त, अनुद्यत, अनभिज्ञ, अनारभ।
अधःनीचेअधःपतन, अधोगति, अधोमुख, अधोगामी, अधाेगमन, अधोहस्ताक्षर, अधोगत।
अंतर्भीतर, मध्यअंतरात्मा, अन्तर्गत, अन्तर्जातीय, अंतर्ज्वाला, अंतदृष्टि, अंतःकरण।
अंतरके मध्यअंतर-राष्ट्रिय, अंतदेर्शीय, अंतजातीय, अंतरद्वीय, अंतर्राज्यीय।
अलम्सज्जितअलंकार, अलंकरण, अलंकृत, अलंकृति।
तिरःतुच्छतिरस्कार, तिरोधान, तिरोहित, तिरस्कृत, तिरोभाव।
पुनर्फिरपुनरपि, पुनरागत, पुनरागम, पुनरावत्त, पुनरुत्थान, पुनर्जन्म।
पूर्वपहला, पहलेपूर्वकालिक, पूर्वाधिकार, पूर्वज, पूर्वधारणा, पूर्वपद, पूर्वदिशा।
पुराप्राचीनपुराकथा, पुरातत्व, पुरालिपि, पुरालेख, पुरातन, पुराविद।
प्राक्पहले काप्राक्कथन, प्राक्कलन, प्राक्काल, प्राकृत, प्राग्ज्योतिष, प्राग्वचन।
बहिःबाहरबर्हिगमन, बहिर्गामी, बहिष्करण, बहिष्कार, बहिष्कार, बहिर्मुख।
सहसाथसहकार, सहकर्मी, सहचर, सहमत, सहयात्री, सहयोग, सहमति।

2. हिन्दी के उपसर्ग

उपसर्गअर्थयोगिक शब्द
अभाव/ रहितअभाव, अखण्ड, अज्ञान, अजर, अमर
अनअभाव/रहितअनपढ़, अनजान, अनमोल, अनबन, अनोहनी
कुबुराकुख्यात, कुपुत्र, कुरीति, कुकर्म, कुमार्ग
भरपूराभरपेट, भरमार, भरपाई, भरपूर, भरसक
अधआधाअधमरा, अधपका, अधजला, अधखिला, अधकचरा
बिनबिनाबिनखाया, बिनबोया, बिनबुलाया, बिनमाँगा
सहित/अच्छासहित, सपूत, सफल, सबल
समसमानसमतल, समकक्ष, समकालीन, समकोण
ऊँचाउखड़ना, उगाना, उछलना, उछालना, उजला, उलाँघना।
उनएक कमउन्नीस, उनतीस, उनचालीस, उनंचास, उनसठ, उनहत्तर।
बुरा, नीचेऔगुन, औघट, औघड़, ओधार, औसान, औजाड़।
क/कुबुराकठिन कपूत, कूटेव, कुठौर, कुचाल, कुतरक, कुतार।
चोचारचोखाना, चोगान, चोपाई, चोरंगा, चोसर।
तितीनतिकौना, तिगुना, तिमाही, तिपाई, तिराहा, तिरंगा।
दुदोदुगुना, दुमट, दुभाँत, दुभाषियी, दुधारू, दुरंगा।
परदूसरापरकाज, परदादा, परपोता, परदुख, परसुख, परदेश, परधरम।

3. विदेशी उपसर्ग

विदेशी भाषाओं से हिंदी में आए उपसर्गों को विदेशी उपसर्ग कहते हैं। ये उपसर्ग हिंदी शब्दों के अर्थ में बदलाव लाते हैं और उन्हें नया अर्थ देते हैं।

उपसर्गअर्थयाेगिक शब्द
बेअभाव/रहितबेघर, बेईमान, बेइज्जत, बेसहारा, बेवफा, बेपनाह
खुशअच्छाखुशबू, खुशकिस्मत, खुशमिजाज, खुशखबरी, खुशनसीब
बदबुराबदबू, बदनाम, बदसूरत, बदनसीब, बदमिजाज
लाअभाव/रहितलाइलाज, लाजवाब, लापता, लावारिस, लापरवाह
नानहींनाराज, नाउम्मीद, नापसन्द, नालायक, नाजायज
हरप्रत्येकहरपल, हरघड़ी, हरवक्त, हररोज, हरसाल
हमसाथहमराही, हमसफर, हमराज, हमदद, हमवतन
गैरअभावधरहितगैरहारिज, गैरकानूनी, गैरकौम
अलनिश्चितअलकायदा, अलबेला, अलबत्ता, अलमस्त, अलविदा, अलगरजी।
कमकमकमअक्ल, कमउग्र, कमकस, कमजोर, कमबख्त, कमखर्च।
बासाथ,अनुसारबाअदब, बाइज्जत, बाउसूल, बाईमान, बाकायदा, बामुराद।
दरमें, अन्दरदरअसल, दरकिनार, दरखास, दरमियान, दरहकीकत।
सरऊंचा, अच्छासरताज, सरदार, सरनाम, सरकार, सरफरोश, सरहद।

उपसर्गों का हिन्दी भाषा में महत्वपूर्ण स्थान है। उपसर्गों के प्रयोग से शब्दों के अर्थ में विविधता लाकर भाषा को अधिक समृद्ध और प्रभावशाली बनाया जा सकता है।

संधि (Sandhi) एवं संधि के भेद

वर्ण (Varn) और वर्ण के भेद

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