परिभाषा: जो वाक्यांश अपने साधरण अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ को व्यक्त करतें हैं, उन्हें मुहावरे (Muhavare) कहते हैं।
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मुहावरों विशेषताएँ
- इनका शाब्दिक अर्थ नहीं, अपितु सांकतिक अर्थ ही ग्रहण किया जाता है।
- मुहावरे वाक्यांश हाेते हैं। ये न तो एक या दो शब्द होते हैं, न पूरा वाक्य बल्कि वाक्यांश होते है।
- मुहावरों में प्रयुक्त शब्दों के स्थान पर उनके पर्यायवाची या समानार्थक शब्दों का प्रयोग नहीं किया जा सकता है। जैसे- पानी-पानी होना के बदले नीर-नीर हाेना प्रयाेग गलत है।
- ये अपना अर्थ स्पष्ट करने के लिए वाक्य पर अश्रित हाेते है।
- उनका अक्षरशः अनुवाद दूसरी भाषा में नहीं हाे सकता।
जानें मुहावरे और लोकोक्तियों में अन्तर : लोकोक्तियां (lokoktiyan) या कहावतें
महत्वपूर्ण मुहावरे (Muhavare)
यहाँ आपके लिए विगत वर्षों में प्रतियोगी परीक्षाओं में बार बार पूछे गये मुहावरों को संकलित किया गया है ।
क्र. सं. | मुहावरे | मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग |
1 | खून का प्यासा होना | धन दौलत के लिए भाई-भाई भी खून के प्यासे हो जाते हैं। |
2 | छठी का दूध याद आना | मैं तुझे ऐसा पीटूँगा कि तुम्हें छठी का दूध याद आ जाएगा। |
3 | आपे से बाहर होना | परीक्षा में मोहित के कम अंक देखकर पिता जी आपे से बाहर हो गए। |
4 | ढाक के तीन पात | अनपढ़ को समझाना व्यर्थ है क्याेंकि वह तो वही ढाक के तीन पात है। |
5 | कंचन बरसना | इस बार बरसात क्या हुई, खूब कंचन बरसा है। |
6 | कोरा जवाब देना | मैंने जब अतुल से अपनी पुस्तक मांगी तो उसने काेरा जवाब दे दिया। |
7 | पगड़ी उतारना | दूसरों की पगड़ी उतारने वालों को अंत में पछताना पड़ता है। |
8 | आड़े हाथाें लेना | रमेश के घर देर से पहुँचने पर उसके पिताजी ने उसे आड़े हाथों लिया। |
9 | घोड़े बेचकर सोना | परीक्षा देने के बाद विदयार्थी घोड़े बेचकर सोते हैं। |
10 | आस्तीन का साँप | तुमने जिसको नौकरी दिलवाई है वही तुम्हारे लिए आस्तीन का साँप बना हुआ है। हर जगह तुम्हारीनिंदा करता है। |
11 | घाव पर नमक छिड़कना | परीक्षा में पफेल हो जाने पर श्याम पहले ही दुखी है, तुम उल्टी बातें करके क्यों उसके घावाें पर नमक छिड़क रहे हो। |
12 | नाक में दम करना | शिवाजी ने युद्धों में मुगलों की नाक में दम कर दिया था। |
13 | थाली का बेंगन | आजकल के एम.एल.ए. थाली के बैंगन है। जिधर मंत्री पद मिलेगा, उधर ही भागेंगे। |
14 | एक आँख से देखना | भारतीय जन सब धमाेंर् को एक आँख से देखते हैं। |
15 | एक ही थैली के चटटे-बटटे | यहाँ किस पर विश्वास किए जाए, छाेटे-बड़े सब एक ही थेली के चटटे-बटटे हैं। |
16 | चिराग लेकर ढूँढना | रोहन जैसा आज्ञाकारी पुत्रा तो चिराग लेकर ढूँढने पर भी नहीं मिलेगा। |
17 | जान के लाले पड़ना | विमान दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से यात्रियों की जान के लाले पड़ गए। |
18 | चुल्लू भर पानी में डूब मरना | बाप बेचारा मेहनत से कमाकर लाता है और तुम शराब पी रहे हो, जाआे चल्लू भर पानी मे डूब मरो। |
19 | कान कतरना | आजकल के बच्चाें को आप कम न समझिए, वे बड़े-बड़ों के कान कतरते हैं। |
20 | कोचड़ उछालना | चुनाव में एक पार्टी दूसरी पार्टी पर कीचड़ उछालती है। |
21 | कलेजे पर साँप लेटना | जब मुझे अपने विभाग का अध्यक्ष बना दिया गया तो सभी के कलेजे पर साँप लेटने लगा। |
22 | राई का पहाड़ बनाना | जरा सी बात थी परंतु इसने तो इतना बढा चढ़ाकर कहा कि राई का पहाड़ बना दिया। |
23 | दम में दम आना | जब उसका पुत्रा खतरे से बचकर आ गया तभी माता के दम में दम आया। |
24 | खरी-खरी सुनाना | जब मैंने उसे सबके सामने खरी-खरी सुनाई तो वह शर्म के मारे बाेल न सका। |
25 | आँखों में मेघमाला गिर आना | आरुषि बहुत संवेदनशील है, सिनेमा में भी नायिकाआें को रोते देखकर उसकी आँखों में मेघमाला गिर आती है। |
26 | गागर में सागर भरना | बिहारी ने अपने दाेहों में गागर में सागर भर दिया। |
27 | अग्नि में घी का काम करना | मेरे देर से आने के कारण पिता जी वैसे ही गुस्से में थे, माँ ने शिकायत कर अग्नि में घीका काम कर दिया। |
28 | पो-बारह होना | जब से तुम डिप्टीकमिश्नर के पद पर लगे हो तब से ताे तुम्हारे पौ बारह हाे रहे हैं। |
29 | घर पफूँक तमाशा देखना | रामू ताे उन लोगाें में से है जाे घर फूँक कर तमाशा देखते हैं। |
30 | घर में गंगा बहाना | सोमेश तुम्हें ट्यूशन लगाने की क्या आवश्यकता है, तुम्हारे तो घर में ही गंगा बहती है क्योंकि तुम्हारे पिताजी एम.ए. है। |
31 | दाँत काटी राेटी हाेना | अजी, राम और श्याम की क्या पूछते हाे? उनकी तो आपस में दाँत काटी रोटी हे। |
32 | छाती पर साँप लेटना | अपनी श्रेणी में जुनेद काे प्रथम आते देख मेरी छाती पर साँप लेटने लगा। |
33 | छाती पर पत्थर रखना | उमा ने तो उसी दिन से छाती पर पत्थर रख लिया था, जिस दिन उसका पति दूसरी शादी करके आया था। |
34 | कलम तोड़ना | बिहारी ने इतने अच्छे दाेहे लिखकर तो कलम ही तोड़ डाली। |
35 | टस से मस न होना | क्रूर व्यक्ति करूण से करूण परिस्थितियों में भी टस से मस नहीं होता। |
36 | हाथ पाँव पफूलना | घर में चोरों को घुसते देख उसके हाथ पाँव पफूल गए। |
37 | भंडा पफाोड़ना | उसे अपने मन की बात मत बताओ, नहीं तो वह सब बाताें का भंडा पफोड़ कर किए कराए पर पानी पफेर देगा। |
38 | अंग-अंग ढीला होना | कड़ी मेहनत करने से किसान का अंग-अंग ढीला हाे जाता है। |
39 | थूककर चाटना | रामदास ने कहा, ‘नवंबर तक में तुम्हारी एक-एक पाई चुका दूँगा। मैं थूककर चाटना नहीं जानता।’ |
40 | दम मारने की भी फ्रफूरसत न होना | काम बहुत अध्कि है, इसलिए दम मारने की भी पफूसत नहीं है। |
41 | बात का धनी होना | राजपूत सदैव अपनी बात के धनी हाेते थे। |
42 | दातों तले उँगली दबाना | झाँसी की रानी की वीरगाथा सुनकर विदेशी भी दाँतों तले उँगली दबा लेते हैं। |
43 | लह का घूट पीकर रह जाना | तुम्हारे अपमानजनक शब्द सुनकर उस समय सबके सामने ताे में लहु का घूँट पीकर रह गया, परंतु आगे फिर कभी ऐसा किया तो तुम्हें मारे बिना नहीं छोड़ेगा। |
44 | दो नावों पर सवार होना | जो लाेग परस्पर विरोधी दलों का सहारा लेते हैं, वे मानो दो नावों पर सवार होते हैं। |
45 | निन्यानवे के पफेर में पड़ना | निन्यानवे के फेर में न पड़ने से ही मनुष्य चिंता से बचा रहता है। |
46 | सिर पर पाँव रखकर भागना | पुलिस के आते ही डाक सिर पर पाँव रखकर भाग खड़े हुए। |
47 | नाक पर मक्खी न बैठने देना | सतीश इस बदनामी वाले काम में बिल्कुल साथ नहीं देगा। वह नाक पर मक्खी भी नहीं बैठने देता। |
48 | हवा के घोड़े पर सवार होना | तुम तो हवा के घोड़े पर सवार हाेकर आये हाे। जरा ठहरो, अभी तुम्हारा काम करता हूँ। |
49 | छत्रा – छाया में रहना | वट वक्ष की छत्रा – छाया में लताएं पफलने – फूलने लगीं। |
50 | छाती पर मूंग दलना | पिता ने नालायक पुत्र को घर से निकाल दिया, फिर भी वह उसी मोहल्ले में रहकर उनकी छाती पर मूँग दल रहा है। |
51 | विष उगलना | आजकल पाकिस्तान भारत के विरूद्ध बहुत विष उगल रहा हे। |
52 | पेट में चूहे कूदना | अरे भैया, पहले मुझे खाना खा लेने दो, मेरे पेट में तो चूहे कूद रहे हैं। |
53 | पेरों तले से जमीन निकल जाना | अपने घर में आग लगने की खबर सुनकर उसके पेरों तले से जमीन खिसक गयी। |
54 | बल्लियाँ उछालना | ज्योंही उसे पुरस्कार मिलने का समाचार मिला वह बल्लियाँ उछालने लगा। |
55 | बात का बतंगड़ बना डालना | बात कुछ भी नहीं थी कि योगेश ने बात काे अध्किरियों तक पहुँचाकर बात का बतंगड़ बना दिया। |
56 | त्राहि – त्राहि मचना | अकाल के कारण समस्त प्रजा में त्राहि-त्राहि मच गई। |
57 | मिटटी का माधे | तुम तो व्यर्थ में उसे समझाकर अपना समय नष्ट कर रहे हाे, वह ताे मिट्टी का माधे है। |
58 | सिर – आँखाें पर बैठाना | आप हमारे गुरु हैं, आपकाे सिर आँखों पर बैठाना हमारा कर्तव्य है। |
59 | हाथ साफ कर जाना | सिपाही के मुँह पफेरते ही जेबकतरा हाथ सापफ कर गया। |
60 | दबे पाँव निकल जाना | जैसे ही डाकुओं काे पुलिस के आने की खबर मिली, वे दबे पाँव निकल भागे। |
61 | सिर पर कपफन बाँध्ना | वीर पुरूष सदैव सिर पर कपफन बाँधकर ही घर से निकलते हैं। |
62 | लहूलुहान हो जाना | मेजर प्रकाश ने शत्रा का वीरता से सम्मान किया पर आखिर लहूलुहान होकर गिर पड़े। |
63 | सिर मुड़ाते ही ओले पड़ना | उसने नया व्यापार आरंभ किया था कि सरकार ने अपनी नीति बदल ली। उस बेचारे पर सिर मुड़ाते ही ओले पड़ गए। |
64 | साेलह आने मिथ्या | मैंने कभी भी किसी से कर्ज लिया हे, यह बात सोलह आने मिथ्या है। |
वाक्य (Vakya) एवं वाक्य शुद्धि
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