निबन्ध (Nibandh) “नि” उपसर्ग एवं मूल शब्द “बन्ध” से बना है जिसका तात्पर्य यह है कि किसी विषय की मूल विषय-वस्तु को केन्द्र में रखते हुए उससे सम्बन्धित समस्त तथ्यों एवं आयामों विषय के वर्तमान-भूत-भविष्य आदि के सकारात्मक एवं नकारात्मक पक्षों पर प्रकाश डालते हुए सुसंगत तार्किक व्याख्या के आधार पर समालोचनात्मक विश्लेषण करते हुए सहज प्रवाहमान, क्रमबद्ध एवं लयबद्ध सूत्र में बाँधना एवं उक्त विषय को परिपूर्ण रूप प्रदान करना। जिसके अध्ययन से उक्त विषय-वस्तु स्वतः परिपूर्ण रचना परिलक्षित हो।
निबन्ध (Nibandh) की विशेषतायें एवं शैली
निबंध लेखन के शुरुआती समय में हर किसी विद्यार्थी के मन में कुछ बुनियादी प्रश्न अवश्य आते है। जैसे –
- निबंध (Nibandh) कैसे लिखते हैं?
- निबंध किस शैली में लिखा जाता हैं?
- निबंध के आयाम?
- निबंध (Nibandh) की समाप्ति (उपसंहार/निष्कर्ष ) कैसे लिखे?
आदि सभी प्रश्नों के उत्तर के लिए अब आपको और कहीं भी जाने कि आवश्यकता नहीं पड़ेगी। यहाँ हमने बिन्दुवार सभी प्रश्नों के उत्तर बहुत ही आसान भाषा में दिए हैं ताकि आप को आगे कभी ऐसी कठिनाई का सामना ना करना पड़े।
- सर्वप्रथम प्रश्न-पत्र में दिए गए विषयों में से निबन्ध (Nibandh) लेखन हेतु अनुकूल विषय का चयन।
- रूचि, विषय के सम्बन्ध में पर्याप्त जानकारी/तथ्य एवं भाषायी लेखन कौशल के आधार पर निबन्ध लेखन के लिये विषय का चयन किया जाना चाहिए।
- उत्तर-पुस्तिका में निबन्ध लिखना आरम्भ करने से पूर्व चयनित विषय से संबंधित मूल विषय वस्तु, समस्त मुख्य बिन्दुओं तथ्यों एवं आयामों का Rough Framework (कच्ची रूपरेखा) बना लेना चाहिए। तद्नुसार अनुच्छेद शैली में निबन्ध लिखा जाना चाहिए।
- सामान्यतः एक आदर्श निबन्ध (Nibandh) अनुच्छेद शैली में ही लिखा जाना चाहिए। निबन्ध में अनुच्छेद से पूर्व शीर्षक या प्रमुख बिन्दु का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। विषयवस्तु से सम्बन्धित मुख्य तथ्यों, वाक्यों कथनों एवं उद्धरण (Quotation) आदि को रेखांकित (underline) किया जाना चाहिए। या किसी विशिष्ट कथन या उद्धरण (Quotation) को उद्धरण चिह्न ‘‘……………….’’ (Quotation Mark) अंकित किया जाकर लिखा जा सकता है।
- एक अनुच्छेद में एक पक्ष या आयाम पर ही चर्चा की जानी चाहिए। मिश्रित तथ्यों या आयामों को एक ही अनुच्छेद में नहीं लिखा जाना चाहिए। निबन्ध में वाक्यों, शब्दों एवं वर्तनी की शुद्धि का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।
- निबन्ध (Nibandh) के समस्त तथ्य व विचार तथ्यपरक, तार्किक, प्रासंगिक, सुसंगत एवं विषयानुकूल होने चाहिए।
- विषय से सम्बन्धित कथनों एवं उद्धरण (Quotation) आदि को लिखना चाहिए। उक्त कथन एवं उद्धरण विषय के प्रासंगिक एवं सुसंगत होने चाहिए। गद्य शैली या पद्य शैली दोनों शैली के संक्षिप्त कथन/उद्धरण लिखे जा सकते है।
- सरकारी नीतियों, निर्णयों, विनिश्चयों, लोकतान्त्रिक एवं संवैधानिक मूल्यों का सदैव समर्थन किया जाना चाहिए। सरकारी नीतियों, संवैधानिक एवं लोकतान्त्रिक मूल्यों एवं सरकार के निर्णयों की आलोचना नहीं की जानी चाहिए।
- विषय की माँग के अनुसार यदि किसी नीति, विचार या तथ्य की आलोचना या नकारात्मक वर्णन किया जाना हो तो अप्रत्यक्ष रूप से किसी अन्य विचारक या आलोचक का संदर्भ देते हुए लिखना चाहिए। आलोचना के पश्चात् बचाव हेतु युक्तियुक्त तर्कसंगत समालोचना भी की जानी चाहिए।
- निबन्ध (Nibandh) लेखन में विषयानुरूप क्रमिक, लयबद्ध, तारतम्ययुक्त, सहज प्रवाहमान अनुच्छेद लिखे जाने चाहिए।
- निबन्ध (Nibandh) में अन्त तक विषयवस्तु की मौलिकता बनी रहनी चाहिए। निरर्थक, असंगत, अतार्किक एवं अनावश्यक तथ्य, विचार या वाक्य नहीं लिखने चाहिए।
- निबन्ध (Nibandh) न्यूनतम 6-7 अनुच्छेद में लिखा जाना चाहिए। निम्नांकित विशेषताओं के आधार पर अनुच्छेद लिखने चाहिए-
- प्रथम पैरा अत्यंत रोचक, आकर्षक एवं प्रभावशाली होना चाहिए। प्रथम पैरा विषय से सम्बन्धित वर्तमान में दृष्टिगोचर किसी समसामयिक घटना, मुद्दा या किसी समस्या का वर्णन करते हुए प्रश्नात्मक शैली में प्रस्तुत करना चाहिए।
- अर्थात उक्त विषय वर्तमान में चर्चा में क्यों है। इस तथ्य की गम्भीरता, प्रासंगिकता के सन्दर्भ को दर्शाते हुए निबन्ध की शुरूआत की जानी होती है। यदि निबन्ध का विषय समस्यागत है तो उक्त समस्या का वर्तमान में चर्चा में रहने के किसी तथ्य को दर्शाते हुए आरम्भ किया जाना चाहिए।
- साथ ही उक्त गम्भीर विषय या समस्या हेतु सभी सुसंगत कारणों प्रभावों नाकाफी प्रयासों एवं भविष्य में क्या होना चाहिए, से सम्बन्धित वाक्यों को प्रश्नवाचक शैली में लिखकर निबन्ध की एक रूपरेखा स्पष्ट की जाती है।अर्थात् उक्त समस्त वाक्यों का अनुच्छेदवार वर्णन किया जाना होता है। प्रश्नवाचक वाक्य यथा- आखिर क्या है यह समस्या? क्या है इसके मूल कारण? वर्तमान में इसके क्या प्रभाव? समाधान हेतु अभी तक किए गए प्रयास? क्या होने चाहिए इसके समाधान के प्रयास? आदि अनेक प्रश्न मन-मस्तिष्क में निरन्तर उत्पन्न हो रहे हैं, जिनके जवाब अपेक्षित है?
- द्वितीय पैरा :- विषय का सामान्य परिचय एवं जानकारी। विषय से सम्बन्धित समस्त सुसंगत तथ्यों का वर्णन।
- तृतीय पैरा :- विषय या समस्या के उद्भव एवं विकास के कारण एवं जिम्मेदारियों का निर्धारण।
- चतुर्थ पैरा :- विषय के सकारात्मक व नकारात्मक प्रभाव/परिणाम। सामंजस्यपूर्ण विवेचन।
- पंचम पैरा :- विषय पर वर्तमान परिपेक्ष्य पर वर्णन। समस्या के निराकरण व समाधान हेतु अभी तक किए गए प्रयास एवं वर्तमान में चल रहे प्रयास (राजनैतिक, सरकारी, सामाजिक एवं वैयक्तिक)।
- षष्ठम पैरा :- अभी तक के प्रयास नाकाफी होने के स्थिति में लेखक के सुझाव। सुझाव तार्किक एवं व्यावहारिक होने चाहिए।
- सप्तम पैरा :- भविष्य में सफलता/निराकरण की उम्मीद के साथ आशावादी दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए उपसंहार/निष्कर्ष लिखना चाहिए। अन्तिम पैराग्राफ में सकारात्मक एवं आशावादी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
ये भी देखें : उद्धरण (Quotation): पल्लवन और निबंध लेखन के लिए
निबन्ध (Nibandh) के मुख्य विषय
1. पर्यावरण अध्ययन सम्बन्धित मुद्दे
- जलवायु परिवर्तन
- पर्यावरण प्रदूषण
- वैश्विक तापवृद्धि (Global Warming)
- जैव-पारिस्थितिकी असंतुलन
- ओजोन क्षरण
- कार्बन उत्सर्जन
2. महिलाओं से सम्बन्धित मुद्दे
- महिला सशक्तीकरण
- महिलाओं के विरूद्ध अपराध-घरेलू हिंसा/ कार्यस्थल पर यौन शोषण
- कन्या भ्रूण हत्या
- दहेज प्रथा/बाल विवाह/लिंग भेद
- POSCO Act
3. मीडिया सम्बन्धित मुद्दे
- इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिन्ट मीडिया
- पत्रकारिता-दशा और दिशा
- मीडिया और समाज
- मीडिया और लोकतन्त्र
4. सूचना प्रौद्योगिकी सम्बन्धित मुद्दे
- सूचना प्रौद्योगिकी-वरदान या अभिशाप
- साइबर क्राइम
- युवा एवं सोशल मीडिया
- सोशल मीडिया एवं लोकतन्त्र
5. राष्ट्र की आंतरिक सुरक्षा से सम्बन्धित मुद्दे
- आतंकवाद
- नक्सलवाद
- साम्प्रदायिकता
- उपराष्ट्रवाद
- धर्म, जाति, वर्ग, भाषा, क्षेत्र एवं नृजातीयता के आधार पर विभेद एवं संघर्ष
6. लोकतन्त्र सम्बन्धित मुद्दे
- भारतीय लोकतन्त्र – वर्तमान परिदृश्य
- लोकतन्त्र दशा और दिशा
- लोकतन्त्र एवं युवा
- लोकतन्त्र एवं निर्वाचन प्रणाली
- लोकतान्त्रिक मूल्य – न्यायिक स्वतन्त्रता, मानवाधिकार, स्वतन्त्रता, समानता, धर्म निरपेक्षता आदि।
2024 में होने वाली विभिन्न परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण निबंध (Important Essay Topics for Upcoming Examinations)
विषय | निबंध (Nibandh) के उप-विषय |
---|---|
प्रशासन | संघवाद |
नौकरशाही और सिविल सेवा | |
ई-गवर्नेंस | |
न्यायपालिका | |
विज्ञान और प्रौद्योगिकी | साइबरस्पेस और इंटरनेट |
ओटीटी प्लेटफार्मों का आगमन | |
नवाचार | |
कृत्रिम बुद्धिमत्ता और चुनौतियाँ | |
महिला सशक्तिकरण | लैंगिक समानता |
लैंगिक न्याय | |
भारतीय संस्कृति और समाज | आधुनिकता और हमारी पारंपरिक मूल्य |
भारतीय समाज की मिश्रित संस्कृति | |
विविधता और एकता | |
दार्शनिक और मनोवैज्ञानिक विषय | सामाजिक न्याय |
महान व्यक्तियों द्वारा उद्धरण | |
दृष्टिकोण और भावनात्मक बुद्धिमत्ता | |
शिक्षा | शिक्षा में समावेशिता |
चुनौतियाँ और सुधार | |
मूल्य-आधारित शिक्षा | |
समाज में शिक्षा की भूमिका | |
आर्थिक विकास | पर्यावरण बनाम विकास |
डिजिटल अर्थव्यवस्था | |
युवाओं के कौशल विकास का महत्व | |
$5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था | |
पर्यावरण | भारत में जैविक खेती |
पृथ्वी के भू-चुंबकीय क्षेत्र का स्थानांतरण और उसका प्रभाव | |
मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध वन्यजीव व्यापार | |
अतिशयोक्तिपूर्ण वैश्वीकरण मानव समृद्धि के लिए खतरा है | |
प्लास्टिक पर प्रतिबंध: पर्यावरण बनाम अर्थव्यवस्था | |
बीज बम: मानव-पशु संघर्ष का समाधान | |
जैव विविधता संरक्षण – हमारे समाधान प्रकृति में हैं | |
परियोजना टाइगर और परियोजना हाथी का विलय: लाभ और हानि | |
नदियों में बढ़ता प्रदूषण | |
शून्य कार्बन उत्सर्जन | |
सामाजिक मुद्दे | पारदर्शी कराधान – ईमानदार मंच को सम्मानित करना |
भारत में शहरी प्रवासी श्रमिकों का बहिष्कार एक वास्तविकता है और इसके लिए तत्काल मजबूत नीति उपायों की आवश्यकता है | |
आर्थिक विकास और विकास उन समाजों द्वारा आकार दिए जाते हैं जिनमें वे संचालित होते हैं | |
अवैध प्रवास का ‘डंकी’ मार्ग | |
सोशल मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है | |
भारतीयों में नागरिक समझ की कमी देश को पीछे धकेल रही है | |
भारत में सट्टेबाजी को वैध बनाना | |
जाति जनगणना: समानता या जातिवाद? | |
नारीवाद | |
ट्रांसजेंडरों की पुकार | |
मीडिया का कर्तव्य जनता को सूचित करना है, राय निर्मित करना नहीं | |
भारत में जातियों का उप-वर्गीकरण | |
एक नेता अपने देश की नियति को कैसे प्रभावित करता है? | |
एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड | |
पुरुषों के समान बनने की इच्छा रखने वाली महिलाएं महत्वाकांक्षी नहीं हैं | |
भारत में वृद्ध जनसंख्या | |
भारतीय राजनीति | आत्मनिर्भर भारत |
भारत और सतत विकास लक्ष्य | |
भारत में गिरते संसदीय नैतिकता | |
भारत को आक्रामक और व्यावहारिक पड़ोस नीति की आवश्यकता है | |
क्या गठबंधनों का युग समाप्त हो गया है? | |
विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में भारत | |
भारत में वर्तमान एनडीए सरकार से जुड़ी विवाद | |
विमुद्रीकरण पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय | |
भारत की पड़ोसी नीति | |
जम्मू और कश्मीर पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय | |
भारत-चीन सीमा मुद्दे – यह किस ओर बढ़ रहा है? | |
नया भारत @75 | |
अवमानना के साथ अंतर्राष्ट्रीय मानकों की संगतता | |
मध्य एशियाई क्षेत्र में भारत की भागीदारी | |
राष्ट्रपति बनाम संसदीय सरकार का रूप: भारत को किसे चुनना चाहिए? | |
मोदी सरकार की गरीब समर्थक नीतियाँ | |
बहुत अधिक लोकतंत्र विकास के लिए हानिकारक है | |
भारत में गहरी होती कुपोषण की समस्या | |
एक राष्ट्र, एक चुनाव | |
आज भारत को ‘विविधता में सामंजस्य’, न कि विविधता में एकता की आवश्यकता है | |
अर्थव्यवस्था | गैर-निष्पादित संपत्तियाँ और उनका अर्थव्यवस्था पर प्रभाव |
नवीकरणीय ऊर्जा में भारत का नेतृत्व बनना | |
आरबीआई द्वारा केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा | |
भगोड़े आर्थिक अपराधी और उन्हें वापस लाने की आवश्यकता | |
वैश्विक मंदी और अर्थव्यवस्था के आकार | |
सरकार का अमृत काल दृष्टिकोण | |
अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति से निपटने के लिए आरबीआई की रणनीतियाँ | |
50 करोड़ जन धन खाते: वित्तीय समावेशन की दिशा में एक विशाल कदम | |
रक्षा निर्माण में निजीकरण | |
क्रिप्टोकरेंसी और उससे संबंधित मुद्दे | |
भारत में कृषि की संभावनाओं को अधिकतम करना समय की आवश्यकता है | |
अर्थव्यवस्था के लिए धन प्रवाह कितना महत्वपूर्ण है? | |
निजीकरण के बढ़ते रुझान | |
विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर भारत | |
क्या 70 घंटे का कार्य सप्ताह स्वस्थ है? | |
अंतरराष्ट्रीय संबंध | NAFTA, RCEP जैसे क्षेत्रीय व्यापार ब्लॉकों का महत्व |
एससीओ और उसका विकास | |
रूस-यूक्रेन युद्ध और इसका भू-राजनीति पर प्रभाव | |
जी20 नई दिल्ली शिखर सम्मेलन | |
जलवायु कूटनीति और COP 28 | |
अपने पड़ोस में लोकतंत्र भारत के हित में है | |
इंडो-पैसिफिक में चीनी वर्चस्व का उदय और भारत के लिए इसके परिणाम | |
एक बेल्ट एक सड़क (OBOR) नीति के 10 वर्ष और भारत की प्रतिक्रिया | |
इज़राइल-हमास संघर्ष और ऑपरेशन अजय | |
भारत: सार्क से BIMSTEC तक | |
नासा का आर्टेमिस कार्यक्रम | |
क्या UNSC अप्रासंगिक हो गया है? | |
IMEEEC और इसके संभावनाएँ |