250+ लोकोक्तियां (lokoktiyan): अर्थ एवं वाक्य प्रयोग

लोकोक्तियाँ लोक जीवन के दीर्घकालीन अनुभव का समृद्ध कोश होती हैं। लाेकोक्तियों में लोक जीवन के विविध अनुभव समाहित होते हैं, इसलिए वे बहुत विस्तृत तथ्य और सत्य को कम से कम शब्दों में प्रभावाेत्पादक ढंग से सहज ही व्यक्त कर देती हैं।

वे कथन, जो जनजीवन में (लोक जीवन में) दीर्घकालीन अनुभव के उपरान्त, किसी विशिष्ट अर्थ और परिस्थिति में प्रयुक्त होने लगते हैं, उन्हें कहावतें या लोकोक्तियां कहते हैं।

50+ लोकोक्तियां, उनके अर्थ एवं वाक्य में प्रयोग

क्रम संख्यालोकोक्ति
(Lokokti In Hindi)
लोकोक्ति का अर्थ
(Lokokti Ka Arth)
लोकोक्ति का वाक्य में प्रयोग
(Lokokti Vakya Prayog)
1अंधा क्या चाहे दो आंखेंबिना प्रयास, इच्छित वस्तु मिल जानाराजेश को लॉटरी में कार मिली, यह तो अंधा क्या चाहे दो आंखें जैसा हो गया।
2अंधा बांटे रेवड़ी, फिर-फिर अपने को देअनुदान व्यक्ति स्वजनों को ही लाभान्वित करता हैनेता ने सभी ठेके अपने रिश्तेदारों को दिए, यह तो अंधा बांटे रेवड़ी है।
3अंधी पीसे कुत्ता खायपरिश्रम कोई करे, लाभ कोई और पाएमोहन ने मेहनत की, लेकिन प्रमोशन किसी और को मिल गया, अंधी पीसे कुत्ता खाय हो गया।
4अक्ल बड़ी कि भैंसशारीरिक बल से बौद्धिक बल श्रेष्ठ होता हैसमस्या का हल ताकत से नहीं, बुद्धि से होगा, क्योंकि अक्ल बड़ी कि भैंस।
5अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकताअकेला व्यक्ति बड़ा काम नहीं कर सकतायह प्रोजेक्ट बहुत बड़ा है, इसे पूरा करने के लिए टीम चाहिए, क्योंकि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
6अकेली मछली सारे तालाब को गंदा कर देती हैएक बुरा व्यक्ति पूरे वातावरण को दूषित कर देता हैउस कर्मचारी की बुरी आदतें पूरे ऑफिस के माहौल को बिगाड़ रही हैं, अकेली मछली सारे तालाब गंदा कर देती है।
7अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता हैअपने क्षेत्र में डरपोक भी वीरता प्रदर्शित करता हैवह अपने मोहल्ले में तो बहुत बहादुर बनता है, क्योंकि अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है।
8अपना हाथ जगन्नाथ (RTET L-2 2011)स्वयं का कार्य स्वयं करने में ही भला होता हैदूसरों पर निर्भर रहने के बजाय अपना काम खुद करो, अपना हाथ जगन्नाथ।
9अपनी पगड़ी अपने हाथअपना सम्मान अपने ही हाथ में होता हैअगर तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारा सम्मान करें, तो इसे खुद बनाए रखो, अपनी पगड़ी अपने हाथ।
10अपनी जूती अपने ही सिरस्वयं द्वारा बनाए गए नियम से स्वयं को नुकसान पहुंचानागलत नियम बनाकर खुद फंस गए, यह तो अपनी जूती अपने ही सिर जैसा है।
11अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेतकार्य बिगड़ने पर पछताने से कोई लाभ नहींसमय पर पढ़ाई नहीं की, अब रिजल्ट खराब हो गया, अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।
12अरहर की टट्टी गुजराती तालासामान्य वस्तु पर विशेष सुरक्षामामूली अलमारी के लिए इतनी महंगी चाबी बनवाई, यह तो अरहर की टट्टी गुजराती ताला हो गया।
13अशर्फियाँ लूटें कोयलों पर मोहरएक ओर फिजूल खर्ची और दूसरी ओर बचतउसने शादी में लाखों खर्च किए, लेकिन मेहमानों को सस्ता खाना खिलाया, अशर्फियाँ लूटें कोयलों पर मोहर।
14आ बैल मुझे मारस्वयं अपने हाथों मुसीबत मोल लेनाबिना सोचे-समझे करार कर लिया, अब फंस गए, यह तो आ बैल मुझे मार हो गया।
15आसमान से गिर खजूर में अटकाएक विपत्ति से बचकर दूसरी में फँसनाकर्ज़ चुकाया तो नया कर्ज़ चढ़ गया, यह तो आसमान से गिर खजूर में अटका।
16इमली के पत्ते पर दंड पेलनादूसरों पर निर्भर रहनाकाम खुद करो, दूसरों पर भरोसा मत करो, यह तो इमली के पत्ते पर दंड पेलना हो गया।
17एक अनार सौ बीमारवस्तु कम और आवश्यकता अधिकसरकारी नौकरियों के लिए आवेदन बहुत आते हैं, यह तो एक अनार सौ बीमार जैसा है।
18एक तो करेला दूजा नीम चढ़ाएक बुराई के बाद दूसरी बुराईपहले बारिश से फसल खराब हुई, अब कीड़े लग गए, एक तो करेला दूजा नीम चढ़ा।
19एक मछली सारा तालाब गंदा कर देती हैएक बुरा व्यक्ति पूरे समूह को दूषित कर देता हैएक गलत इंसान पूरी टीम का माहौल खराब कर रहा है, एक मछली सारा तालाब गंदा कर देती है।
20ककड़ी चोर और फांसी की सजासाधारण अपराध के लिए कड़ा दंड देनाछोटी गलती के लिए इतनी बड़ी सजा! यह तो ककड़ी चोर और फांसी की सजा हो गई।
21कबहुँ निरामिष होय न कागादुष्ट अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता हैवह कितने भी अवसर पाए, लेकिन अपनी आदतें नहीं बदलता, यह तो कबहुँ निरामिष होय न कागा जैसी बात है।
22करमहीन खेती करें, बैल मरे या सूखा पड़ेभाग्यहीन व्यक्ति को हर समय बाधा आती हैमेहनत के बावजूद सफलता न मिलना, करमहीन खेती करें, बैल मरे या सूखा पड़े।
23काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़तीकपटाचरण बार-बार सफल नहीं होताधोखे से किसी को जीतना हर बार संभव नहीं, क्योंकि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती।
24कानी के ब्याह में रोड़े ही रोड़ेकिसी कमी के कारण कार्य में बाधा बार-बार आती हैकम संसाधनों के कारण काम में बार-बार रुकावट आ रही है, कानी के ब्याह में रोड़े ही रोड़े।
25का बरषा जब कृषि सुखानेसमय बीतने पर सहायता करना व्यर्थ हैअब मदद करने का क्या फायदा, जब समस्या समाप्त हो चुकी है, का बरषा जब कृषि सुखाने।
26कोऊ नप होई हमें का हानिनिर्लिप्तता और उदासीनता का भावउसके जाने से मुझे फर्क नहीं पड़ता, कोऊ नप होई हमें का हानि।
27कोयलों की दलाली में हाथ कालेबुरे कार्य में साथ देने का फल भी बुरा ही होता हैगलत कंपनी में काम करने से मेरी भी बदनामी हो गई, कोयलों की दलाली में हाथ काले।
28खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता हैसंगत का प्रभाव अवश्य होता हैबच्चों पर उनके दोस्तों का गहरा असर होता है, खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है।
29गधा क्या जाने गुलकंद का स्वादमूर्ख व्यक्ति गुणवान वस्तु का महत्व नहीं समझताउसे इतनी शानदार गाड़ी दी, लेकिन वह इसे संभाल नहीं सकता, गधा क्या जाने गुलकंद का स्वाद।
30घर आया नाग न पूजें, बाँबी पूजने जाएंसुलभ अवसर का लाभ न उठाकर, बाद में उसके लिए प्रयास करनाउसने घर बैठे नौकरी छोड़ दी, अब अन्य जगह जाकर संघर्ष कर रहा है, घर आया नाग न पूजें, बाँबी पूजने जाएं।
31घर का जोगी जोगना, आन गांव का सिद्धअपने स्थान पर गुणी व्यक्ति की कद्र न होनाअपने गांव में उसे कोई पहचानता नहीं, लेकिन शहर में वह प्रसिद्ध है, घर का जोगी जोगना, आन गांव का सिद्ध।
32घोड़ा घास से यारी करे तो खाए क्याश्रम का पारिश्रमिक न लेने पर जीवन निर्वाह कैसे संभव हैअगर किसान अनाज मुफ्त में दे तो वह खुद भूखा रहेगा, घोड़ा घास से यारी करे तो खाए क्या।
33चंदन को चुटकी भली, गाड़ी भरा न काठगुणवान वस्तु मात्रा में कम भी महत्वपूर्ण होती हैथोड़ी सी चंदन की लकड़ी भी अनमोल है, लेकिन साधारण लकड़ी का ढेर व्यर्थ है, चंदन को चुटकी भली, गाड़ी भरा न काठ।
34चौबे जी गए छब्बे जी बनने, दूबे जी रह गएलाभ की आशा में हानि हो जानाउसने बड़ा पद पाने की कोशिश की, लेकिन नौकरी ही खो दी, चौबे जी गए छब्बे जी बनने, दूबे जी रह गए।
35छछूंदर के सिर में चमेली का तेलअयोग्य व्यक्ति को मूल्यवान वस्तु देनाउसे इतनी महंगी घड़ी क्यों दी, यह तो छछूंदर के सिर में चमेली का तेल है।
36जिस थाली में खाएं, उसी में छेद करेंहित करने वाले का ही अहित करनाजिसने तुम्हारी मदद की, तुमने उसी को धोखा दिया, जिस थाली में खाएं, उसी में छेद करें।
37जैसी तेरी घूघरी, वैसे मेरे गीतक्रिया-कलापों के अनुरूप ही प्रतिक्रिया देनाअगर वह गुस्से में बात करता है, तो मैं भी वैसे ही जवाब दूंगा, जैसी तेरी घूघरी, वैसे मेरे गीत।
38जो गरजते हैं वे बरसते नहींडींग हांकने वाले लोग अक्सर काम नहीं करतेवह सिर्फ बड़े-बड़े दावे करता है, लेकिन कुछ करता नहीं, जो गरजते हैं वे बरसते नहीं।
39तेते पांव पसारिए, जेती लंबी सौरअपनी सामर्थ्य के अनुसार ही काम करना चाहिएअपनी आमदनी के हिसाब से खर्च करो, तेते पांव पसारिए, जेती लंबी सौर।
40थोड़ी पूंजी धनी को खाएअपर्याप्त संसाधनों से काम शुरू करना असफल होता हैबिना तैयारी के व्यापार शुरू किया और घाटा हुआ, थोड़ी पूंजी धनी को खाए।
41दान की बछिया के दांत नहीं गिने जातेमुफ्त में मिली वस्तु के दोष नहीं देखे जातेउसे उपहार में पुराना मोबाइल दिया और उसने शिकायत की, दान की बछिया के दांत नहीं गिने जाते।
42नमाज छोड़ने गए, रोज़े गले पड़ गएछोटी मुसीबत से बचने के प्रयास में बड़ी मुसीबत आ जानाउसने जल्दी में काम छोड़ा और समस्या बढ़ गई, नमाज छोड़ने गए, रोज़े गले पड़ गए।
43नाम बड़े और दर्शन छोटेसिर्फ दिखावा करनाहोटल की कीमतें तो बहुत ज्यादा हैं, लेकिन खाना साधारण है, नाम बड़े और दर्शन छोटे।
44नौ दिन चले अढ़ाई कोसबहुत धीमी गति से कार्य करनापरियोजना छह महीने में पूरी होनी थी, लेकिन अभी तक शुरू नहीं हुई, नौ दिन चले अढ़ाई कोस।
45पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैंगुणी व्यक्ति के लक्षण प्रारंभ में ही दिख जाते हैंउसकी छोटी उम्र में ही काबिलियत दिखने लगी, पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं।
46फिसल पड़े तो हर-हर गंगाअसफलता को बहाने बनाकर छिपानागलती अपनी थी, लेकिन वह भगवान को दोष दे रहा है, फिसल पड़े तो हर-हर गंगा।
47बंदर क्या जाने अदरक का स्वादमूर्ख व्यक्ति गुणवान वस्तु का महत्व नहीं समझताउसे इतनी अच्छी किताब दी, लेकिन वह पढ़ने की परवाह नहीं करता, बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद।
48भेड़ पर ऊन कोई नहीं छोड़ताकमजोर व्यक्ति का सभी शोषण करते हैंगरीब किसान को सबने लूटा, यह तो भेड़ पर ऊन कोई नहीं छोड़ता।
49मन मन भावे मूंड हिलावेऊपर से सहमति देना, लेकिन मन में कुछ और सोचनाउसने मीटिंग में तो हामी भर दी, लेकिन काम करने का मन नहीं था, मन मन भावे मूंड हिलावे।
50मुंह में आया पताशा किसी को बुरा नहीं लगताअनायास प्राप्त वस्तु को कोई नकारता नहींअचानक बोनस मिला, और सभी खुश हो गए, मुंह में आया पताशा किसी को बुरा नहीं लगता।
51हजारों टांकियां सहकर महादेव बनते हैंकष्ट सहने से ही सफलता मिलती हैमेहनत और संघर्ष से ही उसे यह मुकाम मिला, हजारों टांकियां सहकर महादेव बनते हैं।
52हाथी के दांत खाने के और, दिखाने के औरबाहर और भीतर के स्वरूप में अंतरउसकी बातें कुछ और होती हैं, लेकिन काम कुछ और, हाथी के दांत खाने के और, दिखाने के और।
53होनहार बिरवान के होते चिकने पातगुणी व्यक्ति के लक्षण प्रारंभ में ही प्रकट हो जाते हैंबचपन से ही वह बहुत प्रतिभाशाली था, होनहार बिरवान के होते चिकने पात।

FAQs:

प्रश्न: लोकोक्ति किसे कहते हैं? लोकोक्ति की परिभाषा या लोकोक्ति क्या होती है ?
उत्तर : हिन्दी में लोकोक्ति (Proverb) एक प्रकार की कहावत होतीं है, जो समाज में प्रचलित होते है और जिसमें किसी विशेष अनुभव, ज्ञान या नैतिक शिक्षा को संक्षेप में प्रस्तुत किया जाता है। यह आमतौर पर एक छोटे वाक्य या वाक्यांश के रूप में होती है और इसका उपयोग किसी विशेष स्थिति या संदर्भ में किया जाता है।

उदाहरण के लिए, “नाच न जाने आँगन टेढ़ा” एक लोकोक्ति है, जिसका अर्थ है कि अपनी कमी को छुपाने के लिए दूसरों को दोष देना।

प्रश्न: लोकोक्ति किस भाषा का शब्द है?
उत्तर : लोकोक्ति संस्कृत भाषा का शब्द है। यह शब्द “लोक” (जनता) और “उक्ति” (कहना) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है जनता द्वारा कही गई बात या कहावत।

प्रश्न: लोकोक्ति को अन्य किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर : लोकोक्ति को कहावत या प्रवचन के नाम से भी जाना जाता है। यह समाज में प्रचलित ज्ञान और अनुभव को संक्षेप में प्रस्तुत करने का एक तरीका है।

प्रश्न: लोकोक्ति और मुहावरे में अंतर बताइए ?
उत्तर : लोकोक्ति और मुहावरे दोनों ही हिंदी भाषा के महत्वपूर्ण अंग हैं, लेकिन इनके उपयोग और अर्थ में अंतर होता है:

Lokokti, लोकोक्ति

लोकोक्ति (Proverb)मुहावरा (Idiom)
वाक्य होती हैं।वाक्यांश होतें हैं।
अर्थ में पूर्णअर्थ में पूर्ण नहीं
प्रयोग वाक्य में ज्यों का त्योंप्रयोग के आधार पर लिंग, वचन, क्रिया के अनुरूप परिवत र्न
लोक की उपज (सामान्य जनता)भाषा की, साहित्य की उपज
“मन मन भावे मूंड हिलावे” – ऊपर से सहमति देना, लेकिन मन में कुछ और सोचना।“आसमान से बातें करना” – बहुत ऊँचा होना।

प्रश्न: लोकोक्ति और मुहावरो में समानता एवं असमानता स्पष्ट कीजिए?
उत्तर:
समानता

  1. मुहावरों की भाँति कहावतें भी भाषा को रोचक व प्रभावोत्पादक बनाती हैं।
  2. मुहावरे व कहावतें दोनों ही साधरण अर्थ से भिन्न विलक्षण अर्थ का बोध कराते हैं।

असमानता

  1. लोकोक्ति वाक्य है जबकि मुहावरा वाक्यांश है।
  2. लोकोक्ति अपने अर्थ में पूर्ण होती है जबकि मुहावरे अपने अर्थ में पूर्ण नहीं हाेते।
  3. लोकोक्ति का प्रयोग वाक्य में ज्यों का त्यों किया जाता है जबकि मुहावरे में प्रयोग के आधार पर लिंग, वचन, क्रिया के अनुरूप परिवत र्न आ जाता है।
  4. लोकोक्ति लोक की उपज है जबकि मुहावरे भाषा की, साहित्य की उपज है।

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